
जैसलमेर जिले की रहने वाले ट्रेनिंग पायलट चेष्टा बिश्नोई का हाल ही में एक सड़क हादसे में मौत हो गई। चेष्टा बिश्नोई के परिवार वालों ने ऐसे दुख के समय में भी साहसिक फैसला लेते हुए अपनी बेटी का अंगदान करने की बात कही। चेष्टा के परिजनों ने चेष्टा का हार्ट लीवर दोनों किडनी और पेनक्रियाज को भी डोनेट किया।
राजस्थान के जैसलमेर जिले के पोकरण में एक छोटे से गांव खेतोलाई की रहने वाली 21 साल की ट्रेनिंग पायलट का एक्सीडेंट हो गया था। इसके तुरंत साथ बाद उसको अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि इलाज के दौरान ही मंगलवार को चेष्टा बिश्नोई की मौत हो गई। चेष्टा पायलट की ट्रेनिंग के लिए 1 साल पहले की पुणे गई थी। लेकिन चेष्टा 9 दिसंबर को महाराष्ट्र पुणे में एक सड़क हादसे में घायल हो गई थी।
इसके बाद उसे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया गया। लेकिन पिछले कई दिनों से चेष्टा कोमा में थी और मंगलवार को दम तोड़ दिया। ऐसे दुख के समय में भी चेष्टा के परिजनों ने अंगदान करने का निर्णय लिया। जाहिर सी बात है जिससे कई लोगों को नई जिंदगी मिलेगी। अंगदान जैसे कदम उठाने से लोगों को नई जिंदगी मिलती है।
अब होगा अंगदान
एक्सीडेंट होने के बाद चेष्टा को पुणे के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां पर 9 दिन तक इलाज चलने के बाद मंगलवार को चेष्टा ने अपना दम तोड़ दिया। 21 साल की चेष्टा के माता-पिता और भाई ने उसका अंगदान करने का फैसला लिया। जो काबिलियत तारीफ़ है। सूचनाओं के मुताबिक बताया जा रहा है कि चेष्टा का हार्ट, लीवर और दोनों किडनी व पेनक्रियाज को भी डोनेट किया जाएगा। जिससे पांच लोगों को नया जीवन मिलेगा।
मरने के बाद भी अमर हो गई
चेष्टा बिश्नोई के शव को बुधवार दोपहर उसके पैतृक गांव खेतोलाई जो की पोकरण में पड़ता है लाया गया। वहाँ पर उसके परिवार सहित हजारों के भीड़ ने बेटी चेष्टा बिश्नोई का अंतिम क्रियाक्रम किया। चेष्टा के परिवार वालों को शोक में ढांढस बढ़ाने के लिए ग्रामीणों सहित जनप्रतिनिधियों ने भी अंतिम क्रियाक्रम में भाग लिया। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि ट्रेनिंग पायलट चेष्टा बिश्नोई अंगदान करने के बाद अमर हो गई तथा वह समाज में एक मिसाल छोड़ दी।