
क्या ग़लत इलाज ने ली प्रियंका बिश्नोई की जान ?
क्या प्रियंका बिश्नोई के मौत से जुड़े मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है?
राज्य की उच्च स्तरीय जांच कमेटी आज जोधपुर के एम्स अस्पताल में पहुंची। न्यूज़ रिपोर्टर को नहीं जाने दिया अंदर मुख्य द्वार बंद एम्स के डॉक्टरों द्वारा। मुख्य द्वार बंद करने पर कई मरीज हुए परेशान।
प्रश्न यह उठता है क्या इस मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है डॉक्टरो द्वारा ? आइए जानते है
प्रियंका बिश्नोई एक छोटी सी तकलीफ़ पर जाँच करवाने जोधपुर के वसुंधरा हॉस्पिटल गई थी। वहाँ पे डॉक्टरों ने बिना किसी जाँच के 5 सितंबर को बिश्नोई का ऑपरेशन 24 घंटे में कर दिया।
जब प्रियंका की तबीयत ज़्यादा बिगड़ने लगी तो उनके परिजन अस्पताल आ पहुँचे तथा डॉक्टरों से डिस्चार्ज करके किसी दूसरे हॉस्पिटल में एडमिट करने को कहा।लेकिन वसुंधरा हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने प्रियंका बिश्नोई को 2 दिन तक छुट्टी नहीं दी। तथा दो दिन तक अपने अस्पताल में ही रखा।
ऑपरेशन के दो दिन बाद यानी 7 सितंबर को प्रियंका बिश्नोई के परिजन उनको अहमदाबाद के अस्पताल में ले गए। जहाँ इलाज के दौरान प्रियंका बिश्नोई ने 18 सितंबर को दम तोड़ दिया।
प्रियंका बिश्नोई के ससुर की शिकायत पर गठित की गई थी जांच कमेटी
इन सब के बाद प्रियंका के ससुर व परिजनों ने वसुंधरा हॉस्पिटल के खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाया तथा धरना प्रदर्शन किया। बिश्नोई समाज ही नहीं 36 कॉम के लोगो ने धरना प्रदर्शन में भाग लिया।
प्रियंका बिश्नोई के परिजनों का कहना है कि ज़्यादा एनेस्थीसिया देने और ब्लडिंग (ज़्यादा ख़ून बहने) से उनकी मौत हो गई। आज जाँच कमेटी की रिपोर्ट आ सकती है जिसमे मौत के असली कारण का पता लग जाएगा।