राजस्थान प्रशासनिक सेवा यानी RAS प्रियंका बिश्नोई के मौत के मामले में अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश व न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या 8 के तहत वसुंधरा अस्पताल जोधपुर के खिलाफ मालिक डॉ. संजय मकवाना, डॉ. रेनू मकवाना, डॉ. विनोद शैली व डॉ. जितेंद्र के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश कोर्ट द्वारा दिया गया। कोर्ट का आदेश मिलते ही चौपासनी हाउसिंग बोर्ड के थाने में सभी के खिलाफ हत्या की धारा लगाकर FIR दर्ज की गई।
मजिस्ट्रेट द्वारा आदेश में लिखा कि परिवादी सहीराम बिश्नोई द्वारा प्रस्तुत परिवाद पर कार्यालय रिपोर्ट और पुलिस थाना चौपासनी हाउसिंग बोर्ड जोधपुर की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट का अवलोकन किया गया। जिसमें कई कारण ऐसे हैं जिसके चलते पुलिस थाना चौपासनी हाउसिंग बोर्ड जोधपुर को निर्देश दिया जाता है कि उक्त परिवाद को दर्ज कर अनुसंधान नतीजा शीघ्रतापूर्वक न्यायालय के सामने पेश करें। थाने के सब इंस्पेक्टर फगलू राम जी ने बताया कि कोर्ट द्वारा आदेश मिलते ही थाने में मामला दर्ज कर दिया था।
कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में डॉक्टर्स के नोबेल प्रोफेशन को लेकर ख्यातनाम डॉ. बिल एच. वॉरन और वेस फिशर के इस पेशे को लेकर दिए गए ध्येय वाक्य को शामिल किया है जो निम्न है “सफेद कोट को गरिमा ओर गर्व के साथ पहने। एक चिकित्सक के रूप में जनता की सेवा और सम्मान करें। एक डॉक्टर के रूप में लोग आप पर भरोसा करते हैं। अपने प्रयासों की सराहना करें। आप लोगों के लिए अच्छा काम कर सकते हैं। लेकिन ऐसा तब होगा जब आप सिस्टम को अपने ऊपर हावी नहीं होने देंगे।
सहीराम बिश्नोई द्वारा प्रस्तुत किए गए परिवार में कलेक्टर द्वारा गठित कमेटी की जांच रिपोर्ट में अस्पताल के स्टाफ और मरीज के परिजनों के बयान में विरोधाभास, मल्टीप्ल ऑर्गन डिसइन्फेक्शन सिंड्रोम जैसी परेशानी के बाद भी डॉक्टरों द्वारा उपचार पर ध्यान नहीं दिया गया। और साथ ही साथ ब्रेन की सिटी स्कैन भी नहीं करवाई गई जिसके कारण प्रियंका बिश्नोई की मौत हो गई।
RAS प्रियंका बिश्नोई के परिजनों ने इस पूरे मामले में षडयंत्रपूर्वक लापरवाही का आरोप लगाया था। जिसके तहत कलेक्टर ने मेडिकल कॉलेज से भी जांच करवाई थी। जिसमें वसुंधरा अस्पताल को क्लीन चिट दे दी थी। इसके बाद जयपुर से आई टीम ने अस्पताल की कोई गलती नहीं मानी। लेकिन पूरी जांच पड़ताल करने की सिफारिश की थी।